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दिल,

तू कितनी बार टूटेगा ?!

हर मोड़ पे अटक तू जाता है,

हर बात पे चटक तू जाता है,

मुझे और भी कई काम हैं

तू कितनी बार टूटेगा ?!

*

तू अकेला है, ये जान ले,

ये हक़ीक़त गिरह बांध ले,

ख़ुशियों की मानिंद

गम भी आते-जाते हैं,

अपने-पराए सभी छूट जाते हैं,

हर लम्हा पसर तू जाता है,

हर एहसास पे अकड़ तू जाता है,

मुझे और भी कई काम हैं,

तू कितनी बार रूठेगा ?!

दिल,

तू कितनी बार टूटेगा ?!

*

कभी धक-धक, कभी धुक-धुक

अजब तेरे अलाप हैं,

कहीं ग़ज़ल, कहीं नज़्म

तेरे अलग ही ठाठ हैं,

बीमार हो कभी तो

सब कुछ साथ ले जाता है ,

धोखेबाज़ है,

बदल भी तू जाता है,

मुझे और भी कई काम हैं,

तू कितनी बार छूटेगा ?!

दिल,

तू कितनी बार टूटेगा ?! ~अरशफा

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