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हर चीज़ को बदलना
ज़रूरी नहीं था,
सब कुछ नया करना
ज़रूरी नहीं था।
✉️
खत लिखते थे लोग तो
लफ़्ज़ों में लज़्ज़त होती थी,
सभी का पढ़ना,
सभी को सुनाना,
पन्नों में घुली नमी,
खिलखिलाती हँसी महसूस होती थी।
इस रीति को भुलाना
ज़रूरी नहीं था,
सब कुछ नया बनाना
ज़रूरी नहीं था ।
✉️
ख़त अपने साथ कुछ एहसास ले गए
खाली हुआ घर का इक कोना
कलम और किताब भी ले गए ।
चिट्ठियों का आना जाना बंद हुआ
सब अजनबी हो गए,
इस रौनक़ को हटाना
ज़रूरी नहीं था,
सब कुछ नया बनाना
ज़रूरी नहीं था । ~ अरशफा
Beautiful words👏🏻👏🏻👏🏻
Dil ko chu gaye 🥰
Shukriya 🙏🏻