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सूरज के उगने से ले कर
सूरज के डूबने तक का,
पूरा नज़ारा होना चाहिए
घर ऐसा होना चाहिए।
जहाँ परिंदे दिनभर गीत सुनाऐं,
हवा ज़ुल्फों से खेले, रूखसार सहलाऐ।
बरसात में बादल आब-ए-हयात बरसाएँ,
और गीली मिट्टी की खुशबू का
इत्र बन जाना चाहिए,
घर ऐसा होना चाहिए।
जहाँ पतझड़ हो या सावन,
हर मौसम,
सारी रस्में निभाए।
फूल खिलें तो रूह महक जाए,
और सूखे पत्तों की खट-खट
दिल पर दस्तक देनी चाहिए,
घर ऐसा होना चाहिए।
जहाँ सर्दी में रिश्तों की गर्माहट हो,
और गर्मी में हँसी-ठिठोली की ठण्ड पड़े।
जब आएँ तो जाएँ नहीं,
खुशियां ज़िद्दी मेहमान बनें।
अपनों से दूरी कभी ना हो
और खुदा अज़ीज़ बन जाना चाहिए,
घर ऐसा होना चाहिए। ~अरशफा
रूखसार = गाल
आब-ए-हयात = अमृत
Wah kya baat hai
शुक्रिया
Awesome
Thanks a lot!
Kaya baat hai Beautiful
तारीफ का शुक्रिया !
So beautiful! I could visualise my dream home
Thank You for such a sweet compliment!