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रंग देते हैं हर इक लफ़्ज़ मेरा
हर साँस मेरी महकाते हैं,
वो उल्फ़त के लम्हे कम ही सही
पर जान मेरी बन जाते हैं ।
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वो अश्क़ ही क्या
जिन्हें पी ना सको,
वो लब ही क्या
जिन्हें सी ना सको,
जो रहते थे सुकूँ में सदा
वो बेसब्रे बन जाते हैं ।
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तुम ढूँढा किए जिन्हें महफ़िल में
वो दिल में पाये जाते हैं,
तुम सोचा किए जिन्हें लफ़्ज़ों से
वो ख़्वाबों में मुस्कुराते हैं,
उन्हें शिकवा नहीं कुछ दुनिया से
जो रूह में ही बस जाते हैं।
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