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कितना आसान है ना ये कहना कि मज़बूत/strong बनो और शायद मज़बूत बनना आसान भी है। जब कोई और चारा ना हो तो इंसान strong बन ही जाता है। लेकिन मुश्किल पता है क्या है? लम्बे अरसे तक strong बने रहना वो भी तब जब आप के आसपास के लोग कमज़ोर/weak हों। ऐसे में आप का strong बनना मजबूरी हो सकता है विकल्प/choice नहीं।

जब आप एक बार अपने आपको strong साबित कर देते हो तो सभी की उम्मीदें आप से वाबस्ता /tied हो जाती हैं कि ये तो सम्भाल ही लेगी, कर लेगी अकेले, इसे सहारे की दरकार /need नहीं है। लेकिन लोग ये भूल जाते हैं कि वो भी इक इंसान ही है, फ़रिश्ता नहीं। सिर्फ़ इसलिए कि वो जता ना रही तो ये बोझ उसे भारी नहीं लग रहा या सिर्फ़ इसलिए कि वो मुसलसल/continuously कोशिश कर रही है तो वो थक नहीं रही, ऐसा नहीं है, ऐसा बिलकुल भी नहीं है !

सच कहूँ तो बाज़ दफ़ा बड़ा जी चाहता है कि कोई कह दे कि तुम अब बस करो, थक गई होगी, मैं हूँ ना, सब सम्भाल लूँगा, ज़िंदगी भी और तुम्हें भी। पर ऐसा नहीं होता। इसलिए, मज़बूत बनना ही पड़ता है, हमेशा। अपनी हर लड़ाई ख़ुद ही लड़नी पड़ती है, बिलकुल अकेले। वैसे भी जब एक बार आप strong बन जाते हैं तो ताउम्र ये ताकत/strength ज़िम्मेदारी की तरह आप के साथ चलती है, आपके वजूद का हिस्सा बन कर। आप चाह कर भी इसे खुदसे जुदा नहीं कर सकते और इस ज़िम्मेदारी के साथ मिली हर जद्दोजहद/struggle, ज़ख़्म, दर्द, थकन को आप को ही सम्भालना पड़ता है, स्त्री नहीं, एक योद्धा की तरह जीना पड़ता है। ~अरशफा

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6 thoughts on “मेरी ताकत ~अरशफा

  1. Rightly said that TO ATTAIN FIRST POSITION IN ANY SPHERE OF LIFE ONE HAS TO BURN MID NIGHT OIL . To maintain that status is at times appear difficult . Still the mission/goal is accomplished with the experience gathered with the inspiration of NAME AND FAME already gained. Moreover one’s DETERMINATION to do something accelerates the speed of achievement with improved results. If Efforts and Passion towards approach are sincere then Positive results are bound to bow before you. Regards. 🙏

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