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रंज रख कर दिल में

अब और न जिया जाए गा,

तंज़ किसी ज़ुबान का

अब और न सहा जाए गा।

*

वो बरसते हुए बादल के नीचे

खड़ा हो गया,

लगता है,

आँख के अश्कों को

अब और न पिया जाए गा,

तंज़ किसी ज़ुबान का

अब और न सहा जाए गा।

*

टूटे हुए दिल में तो

फिर भी बस जाते हैं लोग,

खुदाया,

टूटे हुए घरों में

अब और न रहा जाए गा,

तंज़ किसी ज़ुबान का

अब और न सहा जाए गा।

*

मिल जाए गा खुदा तो

झुक जाएँ दे कदमों में,

तौबी !

इंसानों को सजदा

अब और न किया जाए गा,

तंज़ किसी ज़ुबान का

अब और न सहा जाए गा।

~अरशफा

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