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सूरज के उगने से ले कर

सूरज के डूबने तक का,

पूरा नज़ारा होना चाहिए

घर ऐसा होना चाहिए।

🏡

जहाँ परिंदे दिनभर गीत सुनाऐं,

हवा ज़ुल्फों से खेले, रूखसार सहलाऐ।

बरसात में बादल आब-ए-हयात बरसाएँ,

और गीली मिट्टी की खुशबू का

इत्र बन जाना चाहिए,

घर ऐसा होना चाहिए।

🏡

जहाँ पतझड़ हो या सावन,

हर मौसम,

सारी रस्में निभाए।

फूल खिलें तो रूह महक जाए,

और सूखे पत्तों की खट-खट

दिल पर दस्तक देनी चाहिए,

घर ऐसा होना चाहिए।

🏡

जहाँ सर्दी में रिश्तों की गर्माहट हो,

और गर्मी में हँसी-ठिठोली की ठण्ड पड़े।

जब आएँ तो जाएँ नहीं,

खुशियां ज़िद्दी मेहमान बनें।

अपनों से दूरी कभी ना हो

और खुदा अज़ीज़ बन जाना चाहिए,

घर ऐसा होना चाहिए। ~अरशफा

रूखसार = गाल

आब-ए-हयात = अमृत

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8 thoughts on ““घर ऐसा होना चाहिए” ~अरशफा

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