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गुमशुदा से हो गए हैं

कोई तो ढूँढ ले हमें,

ऐसा हसीन नाम दे

जो कर मशहूर दे हमें ।

*
रातों को उठ-उठ कर

चाँद देखने वाले,

आफ़ताब में रौशनी

कभी दिखी नहीं तुम्हें ।

*
कभी जज़्बात तंग थे

कभी अल्फ़ाज़ नाकाफ़ी,

हर लम्हा, हर कहीं

बस कमी दिखी तुम्हें ।

*
गुमशुदा से हो गए हैं

कोई तो ढूँढ ले हमें,

ऐसा हसीन नाम दे

जो कर मशहूर दे हमें । ~अरशफा

आफ़ताब = सूरज

जज़्बात = भावना

अल्फ़ाज़ = शब्द

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4 thoughts on ““गुमशुदा” ~अरशफा

  1. इतनी गहराई। मैं आपके लेखन की सराहना करती हूं, आप सुंदर लिखती हैं महोदया 🙏

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