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कभी-कभी जो बादल से बरसता है
वो सिर्फ़ पानी नहीं होता,
इश्क़ सिर्फ़ इश्क़ होता है,
अल्फ़ाज़ बता सकें
ऐसा ज़ुबानी नहीं होता।

कभी-कभी जो आँख से बहता है
वो सिर्फ़ अश्क़ नहीं होता,
दर्द सिर्फ़ दर्द होता है,
समझा-समझाया जाए
ऐसा किताबी नहीं होता।

तुम महसूस करो,
छू लो,
या कोई नाम दो
दिल के जज़्बातों को,
ख़ुदा सिर्फ़ ख़ुदा होता है
उस में कुछ भी इन्सानी नहीं होता। ~अरशफा

अल्फ़ाज़ = शब्द
अश्क़ = आँसू
जज़्बात = भावना

{Self-portrait from the archives}

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