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बड़ी भीड़ थी उन राहों पे,
सो लिया रास्ता मैंने
सब से अलग।
~~
मेरे लफ्ज़ वो समझे नहीं,
कुछ खफा हुए, कुछ मुकर गए,
गलत तो कहा नहीं,
बस मैंने बात की
सब से अलग।
~~
जो सुना नहीं वो भी कह गई,
मैं मर कर भी ज़िंदा रह गई,
यही सादगी खटक गई,
किया दफ़न मुझे
सब से अलग।
~~
मैं शोर में खामोश हूँ,
खामोशी में इक गूँज हूँ,
जो कैद हैं, पशेमान हैं,
मिले पर मुझे
सब से अलग।
~~
Very nice
Thankful !