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रंज रख कर दिल में
अब और न जिया जाए गा,
तंज़ किसी ज़ुबान का
अब और न सहा जाए गा।
*
वो बरसते हुए बादल के नीचे
खड़ा हो गया,
लगता है,
आँख के अश्कों को
अब और न पिया जाए गा,
तंज़ किसी ज़ुबान का
अब और न सहा जाए गा।
*
टूटे हुए दिल में तो
फिर भी बस जाते हैं लोग,
खुदाया,
टूटे हुए घरों में
अब और न रहा जाए गा,
तंज़ किसी ज़ुबान का
अब और न सहा जाए गा।
*